The winning entry has been announced in this pair.There were 4 entries submitted in this pair during the submission phase. The winning entry was determined based on finals round voting by peers.Competition in this pair is now closed. |
अब यात्रा केवल कैमरे को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का माध्यम मात्र रह गयी है । सभी यात्री इस सर्व-शक्तिशाली लेन्स की इच्छानुसार चलते हैं । फ़ोटोग्रॉफ़र उन पर्यटकों को पीछे धकेल देते हैं जो अब भी इतने दकियानूसी हैं कि वे बस खड़े हो कर इस संसार को अपने कालदोषी नेत्रों से देखना चाहते हैं । ये फ़ोटोग्रॉफ़र यह मान कर चलते हैं कि जब वे अपने कैमरे को किसी वस्तु या स्थान पर केंद्रित करने की विधि पूरी कर रहे होते हैं उस दौरान किसी को भी उनकी नज़रों के सामने आने का कोई हक नहीं है । जिन अजीबोगरीब प्राणियों के पास कैमरा नहीं है उन्हें एक तरफ़ हो जाना चाहिए और उनके लिये रास्ता छोड़ देना चाहिए जो कि सही ढंग से काम करते हैं । ऐसे लोगों को चाहिए कि वे तब तक इंतज़ार करें जब तक कि यह विधि पूरी न हो जाये और जिस दौरान पूरी भरी हुई बसें आ कर रुकेंगी और इनमें बैठे फ़ोटोग्राफ़रों की भीड़ इन्स्टामैटिक ईश्वर को प्राकृतिक दृश्य पर खुला छोड़ देगी । और पूरे-पूरे देशों की जनता भौंचक्की हो देखती रह जायेगी और यह काले-छल्ले वाली आँख उन्हें पूरा निगल जायेगी और वे कोशिश करेंगे कि वे इन आदमखोरों से जितना बटोर सकें बटोर लें । तुम मेरे घर, मेरे ऊँट की तस्वीर खींचना चाहते हो? पैसे दो । शायद इस सब से कोई फ़र्क नहीं पड़ता अगर इससे कुछ महत्त्वपूर्ण काम किया जा रहा होता । अगर इस लगातार मेहनत और खट-खट से कुछ ऐसी नयी चीज़ बनती जो पहले नहीं थी या फिर यह तस्वीरें किसी ख़ास ख़ूबसूरती को कैद कर लेतीं या कोई सच्चाई बयान करतीं । मगर अफ़सोस, ऐसा नहीं है । कैमरा केवल दीवारों पर बेतरतीब लिखे शब्दों व चित्रों का एक सम्मानजनक रूप मात्र बन कर रह गया है । कैमरा वह माध्यम है जिससे हम जो भी देखते हैं उस पर अपनी छाप छोड़ देते हैं ... और तुर्रा यह कि हम संसार के अजूबों को दर्ज कर रहे हैं हांलांकि इन्हें हमसे पहले भी कई पेशेवर फ़ोटोग्राफ़रों ने बहुत सुंदर ढंग से अपने कैमरे में कैद किया है और यह तस्वीरें हर नुक्कड़ पर किताबों की दुकान और अख़बार बेचने वाले के पास मिल जातीं हैं । पर हमारे पीछे घर पर रहने वाली आँटी मॉड को इटली के टस्कनी इलाके के नज़ारों के पोस्टकॉर्ड दिखाने का क्या लाभ? चूँकि हम इन तस्वीरों में दिखाई नहीं देंगे तो उन्हें यह कैसे साबित करेंगे कि हम वहाँ मौजूद थे? चट्टानें चाहे कितनी भी दूर तक फ़ैलीं हों, तब तक वे सत्यापित नहीं होतीं जब तक कि उनमें मैं नहीं हूँ । किसी भी स्मारक का अस्तित्व तब तक नहीं है जब तक एक लता की तरह उसका सहारा लिये मेरी पत्नी साथ न खड़ी हो । कोई भी मंदिर मेरे हंसते हुए चेहरे के बिना पूरा नहीं होता । अपने कैमरे से मैं हर ख़ूबसूरत चीज़ को अपना बना लेता हूँ, उसे छोटा कर, पालतू बनाता हूँ और फिर अपनी बैठक की खाली दीवार पर टांग देता हूँ जिससे कि मैं अपने दोस्तों और परिजनों की चुनी हुई दर्शकमंडली को इन सुंदर जगहों के बारे में इस अत्यावश्यक बात का प्रमाण दे सकूं कि मैंने इन्हें देखा है, मैं वहाँ गया था, मैंने इनकी तस्वीर खींची और इसलिये इनका अस्तित्व है । | Entry #3367 Winner
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समस्त पर्यटन अब कैमरे को यहां वहां ले जाने का जरिया मात्र बन कर रह गया है, और सभी पर्यटक आज इस सर्वशक्तिमान लेन्स के गुलाम हैं। पुराने खयालातों के बेचारे पर्यटक, जो खड़े होकर अपनी आंखों से नज़ारा लेने की पुरानी तकनीक का ही सहारा लेते हैं, उन फोटोग्राफरों द्वारा एक तरफ धकिया दिए जाते हैं, जिनके दिमाग में यह बात घर कर चुकी है कि जब वे कैमरा फोकस करने के अनुष्ठान में लीन हों तो कुछ भी आगे नहीं आना चाहिए। बेचारे कैमराविहीन विचित्र प्राणियों के पास इसके सिवाय कोई चारा नहीं कि वे थोड़ा ढंग के काम में व्यस्त इन कैमरा वालों के लिए जगह छोड़ दें, इस अनुष्ठान के दौरान इंतजार करते रहें और मौका देखते रहें, जब तक कि पूरा का पूरा कोच खाली होकर भू-दृश्य को कैमरा देवता के आगोश में न ले ले। और, विभिन्न देशों की संपूर्ण जनसंख्या, इस काले छल्ले वाली घूरती आंख द्वारा स्वयं को ग्रसित होते, निगले जाते, निर्वात में खींच लिए जाते देखकर, जो भी बन पड़े फोटोग्राफी के भुक्कड़ों से छीनने की कोशिश करती है। तुम मेरे घर, मेरे ऊंट की तसवीरें उतारना चाहते हो? पैसे दो। इनमें से किसी भी बात से शायद कोई फर्क नहीं पड़ता, यदि कुछ सार्थक हासिल किया जा रहा होता। यदि इस निरंतर व्यस्तता और कैमरों की क्लिक से अंततः कुछ ऐसा हासिल होता, जो पहले मौजूद नहीं था, चाहे वह कैद की गईं सौंदर्य की तसवीरें हों या बताया जाने वाला सच। लेकिन, अफसोस, ऐसा नहीं है। कैमरा, भित्ति-लेखन को नया चोला पहनाने के अलावा और कुछ नहीं। कैमरा अब हर दिखाई देने वाली वस्तु पर खुद को छापने का साधन बन गया है, और वह भी विश्व के उन आश्चर्यों को रिकार्ड करने के नाम पर, जो पेशेवरों द्वारा पहले ही आश्चर्यजनक सुंदरता के साथ रिकार्ड किए जा चुके हैं और हर मोहल्ले में मौजूद बुक स्टोर पर और समाचार एजेन्टों द्वारा बेचे जा रहे हैं। लेकिन भई, टस्कन भू-दृश्यों को पोस्टकार्ड घर जाकर आन्ट मॉड को दिखाने का क्या फायदा, जब यह साबित करने के लिए चित्र में हम ही मौजूद न हों कि हम वहां गए भी थे? चट्टानों के किसी भी फैलाव में तब तक सत्यता नहीं, जब तक मैं उसमें मौजूद न होऊं। किसी भी स्मारक का तब तक अस्तित्व नहीं, जब तक मेरी पत्नी उसके सहारे झुककर खड़ी न हो। कोई भी मन्दिर किस काम का, यदि मेरा थोबड़ा बगल में बत्तीसी दिखाए मौजूद न हो। अपने कैमरे की मदद से मैं हर सुंदर वस्तु को अपना बना लेता हूं, उस पर स्वामित्व जमा लेता हूं, उसे छोटा रूप दे देता हूं, उसे पालतू बना लेता हूं, और उसे फिर अपनी बैठक की खाली दीवार पर पुनः प्रकट कर देता हूं, अपने चुनिंदा मित्रों या पारिवारिक दर्शकों में इन सुंदर रचनाओं के बारे में एक अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य साबित करने के लिए किः मैं वहां मौजूद था, मैंने इनकी फोटोग्राफी की, और, इसीलिए तो ये हैं। गाड्यन में जिम ट्वीडी द्वारा लिखे गए “अमेच्योर फोटोग्राफीः दि वर्ल्ड ऐज इट इज नॉट ऐन्ड अवर फ्रैड” से साभार। | Entry #3469
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सभी यात्राएँ अब बस एक जगह से दूसरी जगह पर कैमरा घुमाना भर है, सभी यात्री सर्व-शक्तिमान लेंस से शासित होते हैं। जो आगंतुक इतने पुराने फ़ैशन के हैं कि बस खड़े होकर अपनी अव्यवस्थित आँखों से देखना भर चाहते हैं उन्हें फ़ोटोग्राफ़र किनारे कर देते हैं, जो इस बात को निश्चित मान लेते हैं कि जब तक वे अपने फ़ोकस करने का समारोह करते हैं, तब तक किसी और को हिलना या उनकी दृष्टि के सामने से गुजरना नहीं चाहिए। कैमरा-रहित उन आत्माओं को उन अधिक उचित ढंग से व्यस्त आत्माओं के सामने से हट जाना चाहिए, तब तक इंतज़ार करना चाहिए जब तक समारोह पूरा नहीं हो जाता, और अपने समय को स्थिर कर देना चाहिए जब कि समूचा प्रशिक्षण रुक नहीं जाता है और परिदृश्य में इंस्टेमैटिक ईश्वर का अवतार नहीं हो जाता। और सभी देशों के लोगों को खुद को काले घेरे की घूरती आँख में खाता, निगलता, और खींच लेता देखते हुए, खुद को बचाकर भाग लेना चाहिए जो वे नरभक्षियों से कर सकते हैं। आपको मेरे घर, मेरे ऊँट की तस्वीर चाहिए? आप भुगतान करें। शायद इनमें से किसी बात से कोई फ़र्क़ न पड़े, यदि कोई उपयोगी काम हो रहा हो। यदि सभी सतत व्यस्तता और क्लिक करना, अंततः, वह पेश करे, जो पहले मौजूद नहीं था, सौंदर्य की उकेरी कई छवियाँ या कहा गया सच। लेकिन, दुख की बात है कि ऐसा नहीं है। कैमरा तो बस चित्रों को सम्मानित करना है। दुनिया के उन अजूबों को रिकॉर्ड करने के आच्छादन के नीचे जिन्हें पेशेवरों ने पहले ही अद्भुत ढंग से रिकार्ड कर लिया है और जो हर जगह किताबों की दुकानों और अख़बारों के एजेंट के पास बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, कैमरा वह माध्यम है जिससे हम उस सब पर अपनी मुहर लगाते हैं जो हम देखते हैं। क्योंकि वापस लौटकर आंट मौड, या टस्कन भू-दृश्य के पोस्टकार्ड दिखाने का क्या फ़ायदा, क्योंकि हम यह साबित करने के लिए तस्वीर में नहीं हैं कि हम वहाँ थे? चट्टानों के किसी भी फैलाव में विविधता नहीं है जब तक कि मैं उसमें नहीं हूँ। किसी स्मारक का वजूद ही नहीं है जब तक कि मेरी पत्नी उसके साथ टेक लगाकर न खड़ी हो। किसी मंदिर में कोई रोचक बात नहीं है जब तक कि मेरा दाँत दिखाता चेहरा उसके साथ न हो। अपने कैमरे के साथ जो कुछ भी सुंदर है मैं उसे अपनी बैठक की खाली दीवार पर अपने दोस्तों और परिवार के चयनित दर्शक-वर्ग को इस सौंदर्य के बारे में एक पूर्ण महत्वपूर्ण तथ्य साबित करने के लिए उपयुक्त बनाता हूँ, अपने क़ब्ज़े में रखता हूँ, सिकोड़ता हूँ, प्रदर्शित करता हूँ, और पुनः पेश करता हूँ: मैंने उन्हें देखा, मैं वहाँ था, मैंने उनकी फ़ोटो ली, और इसलिए वे हैं। "एमैच्योर फ़ोटोग्राफ़ी: द वर्ल्ड एज़ इट इज़ंट एंड ओवर फ़्रेड" से, लेखक जिल ट्वीडी, द गार्ज़ियन में। | Entry #3439
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हर प्रकार की यात्रा अब केवल कैमरा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का एक साधन है, सारे यात्री अब उस सर्वशक्तिमान लेंस द्वारा शासित हैं | जो पर्यटक इतने व्यवहारबाह्य हैं कि, वे केवल खड़े होकर अपने काल-दोष युक्त आंखों के जरिये नजारों को देखना चाहते हैं, उनको उन फोटोग्राफरों द्वारा एक ओर को धकेला जा रहा है जो यह मान कर चलते हैं कि जब वे अपना व्यावहारिक केन्द्रण कर रहे हों तो उसके दौरान कुछ भी उनके दृष्टि के सामने ना आये | बिना कैमरा के इन अनोखे प्राणियों को उचित रीति से व्यस्त लोगों के लिये जगह बनानी होगी, उनको प्रतीक्षा करनी होगी जब तक यह विधि पूरी नहीं हो जाती, उनको अपने समय के लिये तब तक प्रतीक्षा करनी होगी जब तक पूरी गाड़िया आ कर उस भूदृश्य पर कैमरा रूपी भगवान को वहाँ ला कर उनमुक्त करती रहे| देशों की पूर्ण जनसंख्याएं अपने आप को नरभक्षक बनता हुआ देख रही है जो एक काले-घेरे वाली घूरती हुई आँख के द्वारा निगली जा रही है उसके अन्दर खिंची चली जा रही है, इन नरभक्षकों से जो मिल सके वह छीन लो| आपको मेरे घर की, मेरे ऊँठ की तस्वीर चाहिये? आपको पैसे देने होंगे | शायद इस सब से कोई समस्या नहीं होती अगर इससे कुछ भी लाभकर कार्य सिद्ध कीया जा रहा होता| यदि इस लगातार व्यस्तता और टिकटिक के अंत में कुछ ऐसा उत्पन्न होता जिसका इससे पहले कोई अस्तित्व ही नहीं था, सुनदरता के प्रतिबिम्ब जिन्हे ग्रहण किया गया हो या सच्चाई जो बेची जा रही हो| परंतु, दुर्भाग्यवश, ऐसा नहीं है | कैमरा केवल भित्ति चित्रण का एक शरीफ़ रूप है | कैमरा एक साधन है जिसके जरिये हम जो देखते हैं उस पर अपनी छाप लगा सकते हैं, पेशेवर व्यक्तियों द्वारा पहले से रिकार्ड किये गये विश्व के आश्चर्यजनक नजारे जो कोने के हर पुस्तकालय और अखबार वाले के पास बिक रही है उन नजारों को दोबारा रिकार्ड कर सके | परन्तु, घर पर बैठी, मौड मौसी को टस्कनी के भूदृश्यों के पोस्टकार्ड दिखा कर क्या फायदा, जब हम उस स्थान में अपनी उपस्थिति साबित करने के लिये उस तस्वीर में ना हो? किसी भी पहाड़ के फैलाव में मेरे लिये कोई यथार्थता नहीं है यदि मैं उस तस्वीर में ना हूँ| किसी भी स्मारक का कोई अस्तित्व नहीं है यदि मेरी बीवी उससे टेक लगा कर खड़ी ना हो| किसी भी मन्दिर में मेरी रुचि नहीं है यदि उसके पास मेरा मुस्कुराता हुआ चेहरा ना हो | मेरे कैमरा के द्वारा मैं हर सुन्दरता को अपना बना लेता हूँ, उस पर अपना अधिकार जमाता हूँ, उसे सिकुड़ता हूँ, उसे घर के अनुकूल बनाता हूँ, उसे अपने बैठक कमरे के कोरे दीवार पर पुनःप्रस्तुत करके अपने चुनिन्दा दोस्तों एवं परिवार के सदस्यों से बने दर्शकों के सामने इन सुन्दरताओं के विषय पर उस एक परम अत्यावश्यक तत्व को सिद्ध करता हूँ, कि : मैनें इन्हें देखा, मैं वहाँ था, मैंने उनकी तस्वीर ली, अतएव ये यहाँ हैं | गारडीयन में जिल ट्वीडी द्वारा लिखे: “अमिट्युर फोटोग्राफी: द वर्ल्ड ऐज इट इजंट ऐण्ड आवर फ्रेड” से लिया हुआ | | Entry #3454
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